अपने खातिर नहीं कभी,
जो अपनों की खातिर जीता है।
वो मेरे आदर्श, वो मेरे पिता हैं।।
हमने खाया पर कैसे खाया?
ये जो जानता है।
वो मेरे आदर्श, वो मेरे पिता हैं।।
सपने देखें; उसको जिएं पर कैसे जिएं?
ये जिनको पता है।
वो मेरे आदर्श, वो मेरे पिता हैं।।
मीठी बात, कड़वी डांट,
जिनकी डांट में छिपी चिंता है।
वो मेरे आदर्श, वो मेरे पिता हैं।।
मेरी हर मुसीबत में साया बनके
खड़े जो देवता हैं।
वो मेरे आदर्श, वो मेरे पिता हैं।।
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