महाराणा प्रताप
वीर, शौर्य और पराक्रम की गाथा है
ये महाराणा के जीवन की गाथा है
जो जंगलों में रहना पसंद किए
पर मुगलों के आगे झुकना न स्वीकार किया
जो धर्म, धरा और स्वाधीनता के लिए
अपना सब कुछ हंसकर वार दिया
पराधीनता जब अस्वीकार किए
तो आई आफत अपनी माटी में
तब मुगलों का इतिहास मिटाकर
लगे लिखने नई इतिहास हल्दीघाटी में
वो रणनीति में माहिर थे
उनके युद्ध कौशल का दुश्मन भी कायल था
विशाल मुगलिया सेना में
हर एक सैनिक राणा के वार से घायल था
राणा जितने अच्छे योद्धा थे
उतने ही अच्छे उनका कर्म रहा
समर्पित मुगलों की शाही बेगम को
ससम्मान वापस पहुंचाना उनका धर्म रहा
टिड्डी दल जैसे मुगलिया सैनिक से
जब जाकर कुछ गद्दार मिला
तब राणा जैसे रणबांकुरे को
ऐसे भीषण युद्ध में हार मिला
चेतक के घायल होने पर
रहने को उनको जंगल मिला
अरावली की गुफाएं घर और शिला ही शैय्या
भोजन में उनको घास और कंदमूल फल मिला
हर चुनौती को स्वीकार किए
पर धर्म, धरा को न खोया था
ऐसे साहसी योद्धा के मृत्यु को
दुश्मन भी स्मरण कर रोया था,,,
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