गुरुवार, 28 मार्च 2024

गर्मी

खत्म हुई मौसम की नरमी।

धीरे धीरे बढ़ रही है गर्मी।।


सूख रहे हैं ताल-तलैया और सरोवर,

सूख रही है नदी-नहर और पोखर,,

खत्म हुई हवाओं की नरमी।

धीरे धीरे बढ़ रही है गर्मी।।


सुबह-शाम को बाहर जाना,

दोपहर को तुम आराम फरमाना,,

बनाएं रखना तन-मन की नरमी।

धीरे धीरे बढ़ रही है गर्मी।।


बंद कर दो, करना धूप में शैतानी,

शुरू कर दो रखना, चिड़ियों का दाना-पानी

पेड़-पौधे लगाकर बनाना वातावरण में नरमी।

धीरे धीरे बढ़ रही है गर्मी।।


©️®️ #AVSI ✍️


सोमवार, 25 मार्च 2024

होली का प्रोग्राम


होली पर उसका क्या प्रोग्राम है ये पता करने के लिए आज सुबह मैं अपने दोस्त गुलाबी के घर गया था। मेरे साथ मेरा एक और मित्र चंदर था। गुलाबी अपने घर के आंगन में ठाठ से खटिया पर लेटा था। वहीं पास में उसकी पत्नी कुछ काम कर रही थी। गुलाबी की पत्नी काफी सीधी और भोली थी। गांव की लड़की होने के कारण उसका रहन-सहन और विचार भी गांव के पुराने जमाने की स्त्रियों जैसी ही थी। 


हमने जाते ही गुलाबी की पत्नी से कहा, "नमस्ते भाभी।"


वो हम लोगों की तरफ देख कर बोली, "अरे, अरे आइए देवर जी, बैठिए। हम जरा बनने के लिए चावल डालकर आते हैं। अधन का पानी डबक रहा है।"


मैंने कहा, "ठीक है भाभी।"


वो चली गई। 


फिर मैं गुलाबी से बात करने लगा। आज तुम सुबह से दिखे नहीं भाई, कहीं अकेले-अकेले कोई प्लान तो नहीं बना लिए हो?


हम दोनों दोस्तों को अचानक देख कर गुलाबी वैसे ही घबराया था और मेरे इस सवाल पर उसने और भी घबराहट के साथ कहा, "अरे नहीं, नहीं भाई, कहां से प्लान बनाएंगे? तुम तो जानते हो हमारे पास खाने के ही पैसे हैं और वैसे भी मेरी पत्नी शराब और शराबी से नफरत करती है। पता है, बहुत मनाने पर वो बोली, "ठीक है, आज होली है तो 2 पैग अपने दोस्तों के यहां जाकर ले लीजिएगा पर उससे ज्यादा बिलकुल नहीं।"


मेरा दोस्त चंदर पूछा, "मतलब तुम, हम लोगों के भरोसे ही बैठे हो?"


गुलाबी दांत चियारते हुए बोला, "तुम लोगों के अलावा मेरा और है ही कौन? जिसके भरोसे हम बैठें।"


चंदर फिर बोला, "फुसलाना कोई इससे सीखे।"


गुलाबी बोला, "नहीं, नहीं भाई, सच बोल रहे हैं।"


इतने में गुलाबी की पत्नी गुस्से में चावल की बाल्टी गुलाबी के सामने पटकती हुई बोली, "ये क्या है? इसमें इतना तेल छिपाकर क्यों रखे हैं? रसोई में जब पहले से ही इतना तेल रखा है तो अलग से चावल की बाल्टी में तेल छिपाकर रखने की क्या जरूरत थी?"


मैं और चंदर दोनों चौंक कर गुलाबी को देखने लगे। गुलाबी के चेहरे की रंग फीकी पड़ गई थी। वो कुछ बोलना चाह रहा था पर उसकी आवाज नहीं निकल रही थी। वो हड़बड़ाकर बाल्टी उठाना चाहा पर इससे पहले ही चंदर ने बाल्टी में हाथ डाल कर चेक किया तो देखा उसमें 4-5 शराब की बोतल छिपा कर रखा हुआ है।


हम दोनों गुलाबी की शातिर दिमाग को देखकर अचंभित थे। हमें तो ऐसा लग रहा था कि इसका नाम गुलाबी नहीं, शराबी होना चाहिए था। खैर, गुलाबी आगे कुछ बोलता कि इससे पहले ही हम उसकी पत्नी से बोल पड़े, "भाभी आज होली है और मेरे घर में तेल खत्म हो गया है तो क्या ये सभी तेल का बोतल हम ले जाएं?"


गुलाबी कुछ बोलता कि इससे पहले ही उसकी पत्नी बोल पड़ी, "हां, हां, ये सब तेल आप ले जाइए।"


चंदर को सारी बोतल उठाने बोलकर हम आने लगे तो गुलाबी की पत्नी बोली, "चाय तो पी लेते फिर जाते?"


मैंने कहा, "आज का दिन चाय पीने का दिन नहीं है भाभी।"


गुलाबी की पत्नी बोली, "हां, हां पता है, आज का दिन आप लोगों के लिए क्या पीने का दिन हैं? वो जो बचपन में होली पर निबंध लिखते थे कि होली के दिन कुछ आसामजिक तत्व दारू पीकर उत्पात मचाते हैं वही आसामाजिक तत्व आप लोग हैं।" 


हमारे चेहरे पर हल्की हंसी फूट गई। उन्होंने आगे कहना जारी रखा कि याद रखिएगा, "मेरे पति को केवल 2 पैग ही दीजिएगा, उससे ज्यादा नहीं, कहकर वो चली गई।"


मैंने मुस्कुराते हुए गुलाबी की तरफ देखकर कहा, "जैसा आप कहें भाभी।"


गुलाबी रूआंसा होकर बोला, "भाई, मैंने तुमको बताया तो मेरी पत्नी शराब और शराबी से नफरत करती है इसलिए मैंने उससे छिपाकर रखा था। प्लीज भाई, ये सभी बोतल मुझे दे दो।"


मैंने गुलाबी के गाल पर हल्के हाथ से थप्पड़ मार कर कहा, "भाभी को बताऊं क्या कि ये तेल है या दारू?"


गुलाबी बोला, "अरे नहीं नहीं भाई, बहुत झगड़ा करेगी।"


मैंने हंसते हुए कहा, "तो फिर तुमको 2 पैग पीने की छूट मिली है तो अड्डे पर घर आकर 2 पैग पी लेना। आज मैं खुश हूं इसलिए आज की पार्टी मेरे तरफ से है। 


©️®️ #AVSI ✍️


फागुन का रंग


तुमको अपने संग लिखें या फिर अपना अंग लिखें,

दो मंजूरी गर तुम प्रियतम तो तुमको फागुन का रंग लिखें।


तुमको फागुन का गीत लिखें या अपना मनमीत लिखें

या फिर तुम पर हारकर सबकुछ तुमको ही अपनी जीत लिखें

कहो अगर तुम हमको तो तुमको अपनी सारी उमंग लिखें,

दो मंजूरी गर तुम प्रियतम तो तुमको फागुन का रंग लिखें।


तुमको धूप फागुन की पाटल लिखें या सुर्ख लाल लिखें

या फिर तुमको होली में उड़ते रंग, अबीर, गुलाल लिखें

कहो अगर तुम हमको तो तुमको अपने जीने की नई ढंग लिखें,

दो मंजूरी गर तुम प्रियतम तो तुमको फागुन का रंग लिखें।।


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होली


आज तो हम केवल रंगों की बोली बोलेंगे,

मिलकर अपने संगी-साथी संग जमके होली खेलेंगे।


रंग लगाएंगे, गुलाल उड़ाएंगे, मस्ती में डोला-डोली करेंगे,

मिलकर अपने संगी-साथी संग जमके होली खेलेंगे।


गली-मुहल्ले घूम-घूम कर, यारों संग हंसी-ठिठोली करेंगे,

मिलकर अपने संगी-साथी संग जमके होली खेलेंगे।


क्या पानी और क्या कीचड़? जो तोला-तोली करेंगे,

मिलकर अपने संगी-साथी संग जमके होली खेलेंगे।


संध्या पूर्व बड़े-बुजुर्गों के आशीष से समापन होली करेंगे,

मिलकर अपने संगी-साथी संग जमके होली खेलेंगे।।


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रविवार, 24 मार्च 2024

होलिका दहन


न हमने रावण का सहन किया था

न होलिका का सहन करेंगे,

आओ हम सब मिलकर

आज होलिका दहन करेंगे।


होलिका दहन हेतु जो चंदा लेने आए

उन बच्चों का उत्साह संवर्धन करेंगे,

आओ हम सब मिलकर

आज होलिका दहन करेंगे।


इन बच्चों की भीड़ में मिलकर

हम भी अपने बचपन का स्मरण करेंगे,

आओ हम सब मिलकर

आज होलिका दहन करेंगे।


ईश्वर भक्त बनकर हम भी

अधर्म का मरण करेंगे,

आओ हम सब मिलकर

आज होलिका दहन करेंगे।।


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शनिवार, 23 मार्च 2024

एक अनचाही चोट

बस अपनी गति से चल रही थी। बस, बस पड़ाव आने पर रुकी। कुछ महिलाएं बस में चढ़ी। सीट के लिए इधर-उधर नज़रें दौड़ाई पर कहीं सीट खाली नहीं दिखी। ऐसे में एक महिला ने अपने सामने बैठे एक युवक से कहा, "तुम खड़े हो जाओ और अपनी सीट मुझे दे दो। शायद तुम काफी समय से बैठे ही आ रहे हो?"

युवक विनम्रता से बोला, "हां, बैठे ही आ रहे हैं पर,,,।

इतने में महिला, युवक की बात काटती हुई बोली, "पर क्या? एक महिला खड़ी है और तुम एक नौजवान होकर भी सीट पर बैठे हो।"

युवक ने कुछ बोलना चाहा पर अन्य महिलाएं भी जबरदस्ती उसे सीट खाली करने को कहने लगी। सभी महिलाएं उस महिला की हां में हां मिलाकर कहने लगी, "सही तो बोली, एक महिला खड़ी है और तुम नौजवान हो कर सीट पर बैठे हो। शर्म आनी चाहिए तुमको। पता नहीं, हमारे देश के नौजवानों को क्या हो गया है, एक महिला की इज्जत तो दूर, उसे अपनी सीट तक नहीं दे सकते।"

अन्य यात्री भी इस तमाशे को शौक से देख रहे थे और युवक पर सीट खाली करने का दवाब बना रहे थे परंतु खुद कोई भी यात्री सीट खाली करने को तैयार नहीं था। जब सभी यात्री महिला की साइड लेने लगे तो अंततः मजबूर होकर उस युवक को अपनी सीट खाली करनी पड़ी। जैसे ही वो युवक उठकर थोड़ा संभलते हुए अपने सीट के नीचे से कुछ निकालने लगा तो उसे देख कर सब हैरान रह गए। सभी के चेहरे का रंग फीका पड़ गया। युवक ने सीट के नीचे से अपनी बैशाखी निकाली और उसी के सहारे सीट छोड़कर बगल में खड़ा हो गया। अब उन महिलाओं सहित अन्य यात्री भी उसे अफसोस भरी निगाह से देखने लगे। अभी जो महिला सीट खाली करने कह रही थी, अब उसने वापस उस युवक से अपने सीट पर बैठने का अनुरोध किया पर अकारण इतना सुनने के बाद कौन-सा युवक दोबारा सीट पर बैठता? बस बिना कुछ कहे न में सर हिलाते हुए उस युवक ने अपने दोनों हाथ जोड़ लिए।।


सारांश - बिना किसी की मजबूरी जाने बगैर हमें किसी की भी भावनाओं को चोट नहीं पहुंचाना चाहिए। जरूरी नहीं कि मर्द है तो उसे कोई दिक्कत नहीं होगी। मिट्टी से बने हर शरीर में कुछ-न-कुछ खामी होती है फिर चाहे वो शरीर स्त्री की हो या पुरुष का...

शुक्रवार, 22 मार्च 2024

अच्छा लगता है,,,


 

बादलों के झुरमुट से चांद का निकलना अच्छा लगता है

मुझे उसका हंसना-खेलना-चहकना अच्छा लगता है

बातों-बातों में उसकी बातों का खटकना अच्छा लगता है

मैं उसपे गुस्सा करूं और वो कुछ ना कहकर ठिठक जाए

हाय,,,

मुझे उसका ये ठिठकना अच्छा लगता है।।


यूं फिजा-सा महकना उसका अच्छा लगता है

यूं नशा-सा बहकना उसका अच्छा लगता है

यूं छुपते-छुपाते अचानक आ धमकना उसका अच्छा लगता है


मैं उसपे गुस्सा करूं और वो कुछ ना कहकर ठिठक जाए

हाय,,,

मुझे उसका ये ठिठकना अच्छा लगता है।।


दो दिलों में इश्क की आग का दहकना अच्छा लगता है

मोहब्बत में गुस्से के धागे का चटकना अच्छा लगता है

मुझसे छुपाकर मेरे लिए ही उसका सजना-संवरना अच्छा लगता है


मैं उसपे गुस्सा करूं और वो कुछ ना कहकर ठिठक जाए

हाय,,,

मुझे उसका ये ठिठकना अच्छा लगता है।।


©️®️ #AVSI ✍️


गुरुवार, 21 मार्च 2024

एकतरफा प्यार





ना खोने का डर है

ना पाने का इंतजार है,

ये जो एकतरफा प्यार है

इसका अपना ही खुमार है।।


चुपचाप उसे देखना, महसूस करना 

और उसमें खो जाना,

कितना आसान है ना

बिना आहट किए किसी का हो जाना,,


इन खामोशियों में भी

छिपा होता इजहार है,

ये जो एकतरफा प्यार है

इसका अपना ही खुमार है।।


मंजूर है मुझे तुम्हारी हर गुस्ताखियां

इन्हीं से तो मुझे बेपनाह प्यार है,

इश्क में क्या सही और क्या गलत

मुझे अपने प्यार पर एतबार है,,


खूबसूरती है एकतरफा प्यार की

इसमें नहीं होता कोई बेवफा यार है,

ये जो एकतरफा प्यार है

इसका अपना ही खुमार है।।


©️®️ #AVSI ✍️



बुधवार, 20 मार्च 2024

लड़के


घर की नींव रखने के लिए

पाई-पाई जोड़ना पड़ता है,

हम लड़के हैं साहब 

घर बनाने के लिए घर छोड़ना पड़ता है।


सब कहते हैं लड़के रोते नहीं, मगरूर होते हैं

मगर लड़के भी रोते हैं जब घर से दूर होते हैं

बस यादें ही जा पाती है अपने गांव-जमीनों तक 

कहां लड़के घर आ पाते हैं कई साल-महीनों तक


अपने सपनों को पूरा करने की खातिर 

अपने ही घर से रिश्ता तोड़ना पड़ता है,

हम लड़के हैं साहब

घर बनाने के लिए घर छोड़ना पड़ता है।


भाई की पढ़ाई के खर्चे, बहन की शादी के चर्चे

घर की सारी जिम्मेदारी, मां-पिता की दवाई के पर्चे

एक समय में लड़के जिम्मेदार बन जाते हैं

बचपना को त्यागकर समझदार बन जाते हैं


सबकी जरूरतों को पूरा करने की खातिर

अपने ही जरूरतों से मुंह मोड़ना पड़ता है,

हम लड़के हैं साहब

घर बनाने के लिए घर छोड़ना पड़ता है।।


©️®️ #AVSI ✍️

मंगलवार, 19 मार्च 2024

मिडिल क्लास फैमिली


न सरकार से उम्मीद रखते हैं

न किसी से माँगते हैं

हम मिडिल क्लास लोग हैं,

जिन्दगी जीते नहीं काटते हैं।।


प्रतिदिन की कहानी है

कमाकर घर चलानी है

सुबह से शाम तक परिश्रम करके

दो वक्त की रोटी जुटानी है


हम परिश्रम से नहीं भागते हैं,,,

हम मिडिल क्लास लोग हैं,

जिन्दगी जीते नहीं काटते हैं।।


एक घर में पाँच-छः लोगों का संसार है

ये हमारा संयुक्त परिवार है

हमारे बीच जितना तकरार है

उससे कहीं अधिक प्यार है


हम अपना दुःख-सुःख मिलकर बाँटते हैं,,,

हम मिडिल क्लास लोग हैं,

जिन्दगी जीते नहीं काटते हैं।।


हमारे पास अमीरों जैसे सब हाई-फाई नहीं होते

हमारे तो बस सपने ही बड़े होते हैं

शायद जो हमें चैन से सोने नहीं देते

वो बिल गेट्स हमारे दिल के एक कोने में पड़े होते हैं


हमारी दुनियां जिगरी दोस्तों और परिवार तक नाचते हैं,,,

हम मिडिल क्लास लोग हैं,

जिन्दगी जीते नहीं काटते हैं।।


©️®️ #AVSI ✍️

सोमवार, 18 मार्च 2024

मोहब्बत

वो तेरा मुस्कुराना, वो पलकें गिराना

गिराकर उठाना, उठाकर गिराना,

वो तेरी अदाएं, वो नखरे, वो शरारत

सिखाया है तुमने मुझको करना मोहब्बत।



वो कदमों की आहट, वो धीरे से चलना

चल चल के रुकना, रुक रुक के चलना,

वो पहली चाहत, वो हालत, वो नजाकत

सिखाया है तुमने मुझको करना मोहब्बत।


वो चांदनी रातों में मिलना-मिलाना

मेरे न आने पर तेरा रूठ जाना,

वो मेरा तुझको मनाना कयामत कयामत

सिखाया है तुमने मुझको करना मोहब्बत।


वो मुझसे ही बातें, मुझी से छुपाना

छुपाते छुपाते फिर मुझको बताना,

वो बातें बनाना, मुझे समझाना, वो तेरी शराफत

सिखाया है तुमने मुझको करना मोहब्बत।


वो मुझे न देखने पर तेरे चेहरे का उतरना

मुझे देखते ही तेरे चेहरे का निखरना।

वो तन्हाई, वो उलझन, वो मुझसे अदावत

सिखाया है तुमने मुझको करना मोहब्बत।।


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रविवार, 17 मार्च 2024

चाहे वो प्यार करे ना करे

एक लड़का था मस्तमौला-सा

एक लड़की थी अल्हड़-सी

लड़का लड़की पर मरता था

बेपनाह मोहब्बत करता था

लड़की भी उसपे मरती थी

पर कुछ कहने से डरती थी 

लड़के को अक्सर लगता था

लड़की को उससे प्यार नहीं

लड़की को अक्सर लगता था

लड़के का करना इंतजार सही

पर लड़के ने होश गंवा बैठा

दोस्त की बात में खुद को फंसा बैठा

लड़की उसके संग ख्वाब सजा रही थी

उसे अपने जीने की वजह बता रही थी

इधर लड़के का आपा खो गया

उसके अंदर का आशिक सो गया

उधर लड़की बहुत थी बेकरार

सोची अब कर दूंगी खुद इजहार

उससे पहले जाने कैसा लड़के ने लाड़ दिया

तेजाब डालकर लड़की का चेहरा बिगाड़ दिया

चाहे वो प्यार करे ना करे

जो तुमने किया वो कोई ना करे

जो लड़की थी इसकी जुनून

जिसका चेहरा देता था सुकून

उसकी खामोशी में भी था इश्क रवानी,

लड़की संग खत्म हुई ये प्रेम कहानी,,,!


©️®️ #AVSI ✍️

शनिवार, 16 मार्च 2024

महाभारत

पल पल हर पल घूंट-घूंट मरती

वो नारी जो पाकी है,

एक महाभारत कल हुआ था

एक महाभारत बाकी है।


मैं ठहरी प्रेम की भूखी

इज्जत लूटना तेरी चालाकी है,

एक महाभारत कल हुआ था

एक महाभारत बाकी है।


तेरे उसूल,आचरण मेरे काम का नहीं

मेरे जीने का तरीका ही बेबाकी है,

एक महाभारत कल हुआ था

एक महाभारत बाकी है।


लूटती अस्मत, बिकते न्याय

बिके अदालत और खाकी है,

एक महाभारत कल हुआ था

एक महाभारत बाकी है।


किया प्रतीक्षा, किया विनती

अब अस्त्र उठाना ही बाकी है,

एक महाभारत कल हुआ था

एक महाभारत बाकी है।।


©️®️ #AVSI ✍️



शुक्रवार, 15 मार्च 2024

गांव


कच्ची सड़कों से गुजरो तो निहार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


सुकूं चाहिए? गांव की सड़कें एक बार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


नीम,पीपल की छांव में बैठकर सेहत सुधार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


सर्दी की धूप में लेटकर बहार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


गांव की मिट्टी लगाकर चेहरे को निखार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


पहाड़ों से गिरते झरनों की बौछार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


नए जमाने में पुराने संस्कार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


बड़े-बुजुर्गों संग बैठकर जीवन संवार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


©️®️ #AVSI ✍️


गुरुवार, 14 मार्च 2024

बैलगाड़ी

ऐसा मजा न  कार से मिला

न ही दूजी गाड़ी से मिला,

जो सफर का मजा

हमें बैलगाड़ी से मिला।


राहों से गुजरते देख

लटकने की आदत ने बिगाड़ी थी,

अचानक भार पड़ने पर पीटता था

वो आदमी जिसकी गाड़ी थी।


कभी पूछने पर बैठा लेता था

वो जिसकी गाड़ी थी,

वही मेरे बचपन की सवारी

वही मालगाड़ी थी।


अपने-पराये बैठकर जाते

कभी मेला तो कभी बाड़ी थे,

चलते-चलते, चढ़ना-उतरना

इस खेल के हम खिलाड़ी थे।


सच, ऐसा मजा न कार से मिला

न ही दूजी गाड़ी से मिला,

जो सफर का मजा

हमें बैलगाड़ी से मिला।।


©️®️ #AVSI ✍️

बुधवार, 13 मार्च 2024

अपना वो गांव


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां सुबह-शाम की ठंडक,

जहां पशु-पंक्षी की रौनक,

जहां फसलों का धीरे से लहलहाना,

जहां मस्तानी हवा का चुपके से छूकर गुजर जाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां कोयल की मीठी गाना,

जहां भंवरों का गुनगुनाना,

जहां आम की डाली का मंजर से लद जाना,

जहां का मौसम होता है सुहाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां ओस की बूंद से सूरज का ढंक जाना,

जहां ठंड से बदन का सिहर जाना,

जहां छोटी-छोटी बातों से रूठकर,

दुल्हन का पीहर जाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां सूरज की किरणों का काम है जगाना,

जहां उठ सुबह खेतों पर है जाना,

जहां भरी दुपहरी बैठ छांव में,

देख फसलों को मंद मंद मुस्काना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां बरसाती बादल का मंडराना,

जहां नाच मोर का खूब सुहाना,

जहां भींगे कपड़े चले खेत पर,

टूटे मेढों को भी तो है बनाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां कल कल करके नदियों का बहते जाना,

जहां का मौसम होता है सुहाना,,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।।


©️®️ #AVSI ✍️

मंगलवार, 12 मार्च 2024

बेवफा

तुम्हें खो भी न सका, पा भी न सका।

भुलाना तो चाहा मगर भूला भी न सका।।


यादों में तेरी डूबी ये आंखें।

आंसू बहाना तो चाहा मगर बहा भी न सका।।


जाना ही था तो ले जाते सबकुछ।

मगर बेवफा अपनी यादों को ले जा भी न सका।।


बहाने तो लाखों हैं दुनियां में पर।

मजबूरियों के सिवा दूजा बहाना बना भी न सका।।


मजबूरियों ने तो रिश्ते को तोड़ा मगर।

मेरे दिल से मोहब्बत मिटा भी न सका।।


©️®️ #AVSI ✍️

बगिया


घर में छोटी बगिया लगाएं

गमलों में पौधे उगाएं

फूल-पंखुड़ी से अपने

घर का कोना कोना महकाएं


फूलों में गेंदा, गुलाब, मोगरा

बेला, जूही, हरसिंगार लगाएं

फलों में केला, अमरूद, नींबू

आम, अंगूर, अनार लगाएं


फूलों की खुशबू से महकेगा

घर-बाहर, छत और अंगना

फलों से होगी तन को मुनाफा

न खुद अपनी सेहत को ठगना


उगाकर ताजी हरी सब्जियां

खूब अपनी सेहत बनाएं

घर में छोटी बगिया लगाएं

गमलों में पौधे उगाएं।।।


©️®️ #AVSI ✍️

सोमवार, 11 मार्च 2024

अपना झारखंड


हो न जिसका खंड खंड।

ऐसा अखंड है अपना झारखंड।।


यहां की ऋतु, यहां का मौसम

यहां का झरना, नदियों का संगम

यहां का साखू, यहां का गम्हार

चट्टानों से टकराती, प्रपातों की बौछार


मस्ती में झूमें हर ऋतु,

चाहे शीत हो या बसंत,,


हो न जिसका खंड खंड।

ऐसा अखंड है अपना झारखंड।।


यहीं हुआ है सिद्धो-कान्हू, बिरसा का अवतार

यहीं रहते हैं खड़िया, संथाली, मुंडारी परिवार

अल्बर्ट एक्का, बुद्धू भगत की यादों का न होगा पतन

कैसे भूलेगा डॉ. जयपाल सिंह और धोनी को वतन


ये धरा है उन धुरंधरों का,

जिनके इरादे होते हैं बुलंद,,


हो न जिसका खंड खंड।

ऐसा अखंड है अपना झारखंड।।


यहां का सरहुल, यहां का करमा

यहां का छठ, यहां का जितिया

त्योहारों में घर देवलोक बन जाते हैं

मानो स्वयं विधाता धरती पर आते हैं


क्या बखान करें उस क्षण का?

जिस क्षण हवा त्रिरूप में चलती है मंद मंद,,


हो न जिसका खंड खंड।

ऐसा अखंड है अपना झारखंड।।


यहां है देवी-देवों का धाम 

छिन्नमस्तिका, मधुबन, वैद्यनाथ धाम

यहां है झारखंडी, दिउड़ी मंदिर

यहीं अवस्थित है बासुकीनाथ धाम


झारखंड भारत की खूबसूरती है,

और मलूटी है मंदिरों का भूखंड,,


हो न जिसका खंड खंड।

ऐसा अखंड है अपना झारखंड।।


©️®️ #AVSI ✍️