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शनिवार, 23 मार्च 2024

एक अनचाही चोट

बस अपनी गति से चल रही थी। बस, बस पड़ाव आने पर रुकी। कुछ महिलाएं बस में चढ़ी। सीट के लिए इधर-उधर नज़रें दौड़ाई पर कहीं सीट खाली नहीं दिखी। ऐसे में एक महिला ने अपने सामने बैठे एक युवक से कहा, "तुम खड़े हो जाओ और अपनी सीट मुझे दे दो। शायद तुम काफी समय से बैठे ही आ रहे हो?"

युवक विनम्रता से बोला, "हां, बैठे ही आ रहे हैं पर,,,।

इतने में महिला, युवक की बात काटती हुई बोली, "पर क्या? एक महिला खड़ी है और तुम एक नौजवान होकर भी सीट पर बैठे हो।"

युवक ने कुछ बोलना चाहा पर अन्य महिलाएं भी जबरदस्ती उसे सीट खाली करने को कहने लगी। सभी महिलाएं उस महिला की हां में हां मिलाकर कहने लगी, "सही तो बोली, एक महिला खड़ी है और तुम नौजवान हो कर सीट पर बैठे हो। शर्म आनी चाहिए तुमको। पता नहीं, हमारे देश के नौजवानों को क्या हो गया है, एक महिला की इज्जत तो दूर, उसे अपनी सीट तक नहीं दे सकते।"

अन्य यात्री भी इस तमाशे को शौक से देख रहे थे और युवक पर सीट खाली करने का दवाब बना रहे थे परंतु खुद कोई भी यात्री सीट खाली करने को तैयार नहीं था। जब सभी यात्री महिला की साइड लेने लगे तो अंततः मजबूर होकर उस युवक को अपनी सीट खाली करनी पड़ी। जैसे ही वो युवक उठकर थोड़ा संभलते हुए अपने सीट के नीचे से कुछ निकालने लगा तो उसे देख कर सब हैरान रह गए। सभी के चेहरे का रंग फीका पड़ गया। युवक ने सीट के नीचे से अपनी बैशाखी निकाली और उसी के सहारे सीट छोड़कर बगल में खड़ा हो गया। अब उन महिलाओं सहित अन्य यात्री भी उसे अफसोस भरी निगाह से देखने लगे। अभी जो महिला सीट खाली करने कह रही थी, अब उसने वापस उस युवक से अपने सीट पर बैठने का अनुरोध किया पर अकारण इतना सुनने के बाद कौन-सा युवक दोबारा सीट पर बैठता? बस बिना कुछ कहे न में सर हिलाते हुए उस युवक ने अपने दोनों हाथ जोड़ लिए।।


सारांश - बिना किसी की मजबूरी जाने बगैर हमें किसी की भी भावनाओं को चोट नहीं पहुंचाना चाहिए। जरूरी नहीं कि मर्द है तो उसे कोई दिक्कत नहीं होगी। मिट्टी से बने हर शरीर में कुछ-न-कुछ खामी होती है फिर चाहे वो शरीर स्त्री की हो या पुरुष का...

शुक्रवार, 22 मार्च 2024

अच्छा लगता है,,,


 

बादलों के झुरमुट से चांद का निकलना अच्छा लगता है

मुझे उसका हंसना-खेलना-चहकना अच्छा लगता है

बातों-बातों में उसकी बातों का खटकना अच्छा लगता है

मैं उसपे गुस्सा करूं और वो कुछ ना कहकर ठिठक जाए

हाय,,,

मुझे उसका ये ठिठकना अच्छा लगता है।।


यूं फिजा-सा महकना उसका अच्छा लगता है

यूं नशा-सा बहकना उसका अच्छा लगता है

यूं छुपते-छुपाते अचानक आ धमकना उसका अच्छा लगता है


मैं उसपे गुस्सा करूं और वो कुछ ना कहकर ठिठक जाए

हाय,,,

मुझे उसका ये ठिठकना अच्छा लगता है।।


दो दिलों में इश्क की आग का दहकना अच्छा लगता है

मोहब्बत में गुस्से के धागे का चटकना अच्छा लगता है

मुझसे छुपाकर मेरे लिए ही उसका सजना-संवरना अच्छा लगता है


मैं उसपे गुस्सा करूं और वो कुछ ना कहकर ठिठक जाए

हाय,,,

मुझे उसका ये ठिठकना अच्छा लगता है।।


©️®️ #AVSI ✍️


गुरुवार, 21 मार्च 2024

एकतरफा प्यार





ना खोने का डर है

ना पाने का इंतजार है,

ये जो एकतरफा प्यार है

इसका अपना ही खुमार है।।


चुपचाप उसे देखना, महसूस करना 

और उसमें खो जाना,

कितना आसान है ना

बिना आहट किए किसी का हो जाना,,


इन खामोशियों में भी

छिपा होता इजहार है,

ये जो एकतरफा प्यार है

इसका अपना ही खुमार है।।


मंजूर है मुझे तुम्हारी हर गुस्ताखियां

इन्हीं से तो मुझे बेपनाह प्यार है,

इश्क में क्या सही और क्या गलत

मुझे अपने प्यार पर एतबार है,,


खूबसूरती है एकतरफा प्यार की

इसमें नहीं होता कोई बेवफा यार है,

ये जो एकतरफा प्यार है

इसका अपना ही खुमार है।।


©️®️ #AVSI ✍️



बुधवार, 20 मार्च 2024

लड़के


घर की नींव रखने के लिए

पाई-पाई जोड़ना पड़ता है,

हम लड़के हैं साहब 

घर बनाने के लिए घर छोड़ना पड़ता है।


सब कहते हैं लड़के रोते नहीं, मगरूर होते हैं

मगर लड़के भी रोते हैं जब घर से दूर होते हैं

बस यादें ही जा पाती है अपने गांव-जमीनों तक 

कहां लड़के घर आ पाते हैं कई साल-महीनों तक


अपने सपनों को पूरा करने की खातिर 

अपने ही घर से रिश्ता तोड़ना पड़ता है,

हम लड़के हैं साहब

घर बनाने के लिए घर छोड़ना पड़ता है।


भाई की पढ़ाई के खर्चे, बहन की शादी के चर्चे

घर की सारी जिम्मेदारी, मां-पिता की दवाई के पर्चे

एक समय में लड़के जिम्मेदार बन जाते हैं

बचपना को त्यागकर समझदार बन जाते हैं


सबकी जरूरतों को पूरा करने की खातिर

अपने ही जरूरतों से मुंह मोड़ना पड़ता है,

हम लड़के हैं साहब

घर बनाने के लिए घर छोड़ना पड़ता है।।


©️®️ #AVSI ✍️

मंगलवार, 19 मार्च 2024

मिडिल क्लास फैमिली


न सरकार से उम्मीद रखते हैं

न किसी से माँगते हैं

हम मिडिल क्लास लोग हैं,

जिन्दगी जीते नहीं काटते हैं।।


प्रतिदिन की कहानी है

कमाकर घर चलानी है

सुबह से शाम तक परिश्रम करके

दो वक्त की रोटी जुटानी है


हम परिश्रम से नहीं भागते हैं,,,

हम मिडिल क्लास लोग हैं,

जिन्दगी जीते नहीं काटते हैं।।


एक घर में पाँच-छः लोगों का संसार है

ये हमारा संयुक्त परिवार है

हमारे बीच जितना तकरार है

उससे कहीं अधिक प्यार है


हम अपना दुःख-सुःख मिलकर बाँटते हैं,,,

हम मिडिल क्लास लोग हैं,

जिन्दगी जीते नहीं काटते हैं।।


हमारे पास अमीरों जैसे सब हाई-फाई नहीं होते

हमारे तो बस सपने ही बड़े होते हैं

शायद जो हमें चैन से सोने नहीं देते

वो बिल गेट्स हमारे दिल के एक कोने में पड़े होते हैं


हमारी दुनियां जिगरी दोस्तों और परिवार तक नाचते हैं,,,

हम मिडिल क्लास लोग हैं,

जिन्दगी जीते नहीं काटते हैं।।


©️®️ #AVSI ✍️

सोमवार, 18 मार्च 2024

मोहब्बत

वो तेरा मुस्कुराना, वो पलकें गिराना

गिराकर उठाना, उठाकर गिराना,

वो तेरी अदाएं, वो नखरे, वो शरारत

सिखाया है तुमने मुझको करना मोहब्बत।



वो कदमों की आहट, वो धीरे से चलना

चल चल के रुकना, रुक रुक के चलना,

वो पहली चाहत, वो हालत, वो नजाकत

सिखाया है तुमने मुझको करना मोहब्बत।


वो चांदनी रातों में मिलना-मिलाना

मेरे न आने पर तेरा रूठ जाना,

वो मेरा तुझको मनाना कयामत कयामत

सिखाया है तुमने मुझको करना मोहब्बत।


वो मुझसे ही बातें, मुझी से छुपाना

छुपाते छुपाते फिर मुझको बताना,

वो बातें बनाना, मुझे समझाना, वो तेरी शराफत

सिखाया है तुमने मुझको करना मोहब्बत।


वो मुझे न देखने पर तेरे चेहरे का उतरना

मुझे देखते ही तेरे चेहरे का निखरना।

वो तन्हाई, वो उलझन, वो मुझसे अदावत

सिखाया है तुमने मुझको करना मोहब्बत।।


©️®️ #AVSI ✍️




रविवार, 17 मार्च 2024

चाहे वो प्यार करे ना करे

एक लड़का था मस्तमौला-सा

एक लड़की थी अल्हड़-सी

लड़का लड़की पर मरता था

बेपनाह मोहब्बत करता था

लड़की भी उसपे मरती थी

पर कुछ कहने से डरती थी 

लड़के को अक्सर लगता था

लड़की को उससे प्यार नहीं

लड़की को अक्सर लगता था

लड़के का करना इंतजार सही

पर लड़के ने होश गंवा बैठा

दोस्त की बात में खुद को फंसा बैठा

लड़की उसके संग ख्वाब सजा रही थी

उसे अपने जीने की वजह बता रही थी

इधर लड़के का आपा खो गया

उसके अंदर का आशिक सो गया

उधर लड़की बहुत थी बेकरार

सोची अब कर दूंगी खुद इजहार

उससे पहले जाने कैसा लड़के ने लाड़ दिया

तेजाब डालकर लड़की का चेहरा बिगाड़ दिया

चाहे वो प्यार करे ना करे

जो तुमने किया वो कोई ना करे

जो लड़की थी इसकी जुनून

जिसका चेहरा देता था सुकून

उसकी खामोशी में भी था इश्क रवानी,

लड़की संग खत्म हुई ये प्रेम कहानी,,,!


©️®️ #AVSI ✍️

पिता

अपने खातिर नहीं कभी, जो अपनों की खातिर जीता है। वो मेरे आदर्श, वो मेरे पिता हैं।। हमने खाया पर कैसे खाया? ये जो जानता है। वो मेरे आदर्श, वो ...