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बुधवार, 20 मार्च 2024

लड़के


घर की नींव रखने के लिए

पाई-पाई जोड़ना पड़ता है,

हम लड़के हैं साहब 

घर बनाने के लिए घर छोड़ना पड़ता है।


सब कहते हैं लड़के रोते नहीं, मगरूर होते हैं

मगर लड़के भी रोते हैं जब घर से दूर होते हैं

बस यादें ही जा पाती है अपने गांव-जमीनों तक 

कहां लड़के घर आ पाते हैं कई साल-महीनों तक


अपने सपनों को पूरा करने की खातिर 

अपने ही घर से रिश्ता तोड़ना पड़ता है,

हम लड़के हैं साहब

घर बनाने के लिए घर छोड़ना पड़ता है।


भाई की पढ़ाई के खर्चे, बहन की शादी के चर्चे

घर की सारी जिम्मेदारी, मां-पिता की दवाई के पर्चे

एक समय में लड़के जिम्मेदार बन जाते हैं

बचपना को त्यागकर समझदार बन जाते हैं


सबकी जरूरतों को पूरा करने की खातिर

अपने ही जरूरतों से मुंह मोड़ना पड़ता है,

हम लड़के हैं साहब

घर बनाने के लिए घर छोड़ना पड़ता है।।


©️®️ #AVSI ✍️

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