code,pre{-webkit-user-select:text;overflow:auto; font-size:smaller;font-family:monospace;color:#333} pre{resize:auto;padding:1em!important; white-space:pre-wrap;word-wrap:break-word; border:1px solid #25b327; border-left:5px solid #25b327; font-style:italic!important}
script type='text/javascript'> if (typeof document.onselectstart != "undefined") { document.onselectstart = new Function("return false"); } else { document.onmouseup = new Function("return false"); document.onmousedown = new Function("return false"); }

सोमवार, 22 अप्रैल 2024

पृथ्वी


कह रही है धरती पुकार कर

हम पर थोड़ा उपकार कर

क्या मिलेगा तुमको जरा बताओ

ऐसे हमको नकार कर


ऐसे न डालो हम पर भार

मत उजाड़ो मेरा संसार 

है विनती तुमसे बार बार 

मत करो हमपर विस्फोटक प्रहार


पेड़-पौधे, नदियां और पहाड़

सुंदर बाग-बगीचे मत उजाड़

मेरी मिट्टी में ही पले बढ़े हो

फिर ऐसे न तू मुझे लताड़ 


हमने ही दिया है अन्न और जल

हमसे ही है, हे मानव तेरा कल

छोड़ो अब तोड़ना मेरे सब्र का बांध

वरना प्राकृतिक आपदाएं झेलेगो हर पल


मेरे दिए पर थोड़ा विचार कर

मेरी एक विनती स्वीकार कर

एक-एक पेड़-पौधे लगाकर तुम

पृथ्वी से जाना मेरा कर्ज उतारकर।।


©️®️ #AVSI ✍️

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thankew 😊😊😊

पिता

अपने खातिर नहीं कभी, जो अपनों की खातिर जीता है। वो मेरे आदर्श, वो मेरे पिता हैं।। हमने खाया पर कैसे खाया? ये जो जानता है। वो मेरे आदर्श, वो ...