होली पर उसका क्या प्रोग्राम है ये पता करने के लिए आज सुबह मैं अपने दोस्त गुलाबी के घर गया था। मेरे साथ मेरा एक और मित्र चंदर था। गुलाबी अपने घर के आंगन में ठाठ से खटिया पर लेटा था। वहीं पास में उसकी पत्नी कुछ काम कर रही थी। गुलाबी की पत्नी काफी सीधी और भोली थी। गांव की लड़की होने के कारण उसका रहन-सहन और विचार भी गांव के पुराने जमाने की स्त्रियों जैसी ही थी।
हमने जाते ही गुलाबी की पत्नी से कहा, "नमस्ते भाभी।"
वो हम लोगों की तरफ देख कर बोली, "अरे, अरे आइए देवर जी, बैठिए। हम जरा बनने के लिए चावल डालकर आते हैं। अधन का पानी डबक रहा है।"
मैंने कहा, "ठीक है भाभी।"
वो चली गई।
फिर मैं गुलाबी से बात करने लगा। आज तुम सुबह से दिखे नहीं भाई, कहीं अकेले-अकेले कोई प्लान तो नहीं बना लिए हो?
हम दोनों दोस्तों को अचानक देख कर गुलाबी वैसे ही घबराया था और मेरे इस सवाल पर उसने और भी घबराहट के साथ कहा, "अरे नहीं, नहीं भाई, कहां से प्लान बनाएंगे? तुम तो जानते हो हमारे पास खाने के ही पैसे हैं और वैसे भी मेरी पत्नी शराब और शराबी से नफरत करती है। पता है, बहुत मनाने पर वो बोली, "ठीक है, आज होली है तो 2 पैग अपने दोस्तों के यहां जाकर ले लीजिएगा पर उससे ज्यादा बिलकुल नहीं।"
मेरा दोस्त चंदर पूछा, "मतलब तुम, हम लोगों के भरोसे ही बैठे हो?"
गुलाबी दांत चियारते हुए बोला, "तुम लोगों के अलावा मेरा और है ही कौन? जिसके भरोसे हम बैठें।"
चंदर फिर बोला, "फुसलाना कोई इससे सीखे।"
गुलाबी बोला, "नहीं, नहीं भाई, सच बोल रहे हैं।"
इतने में गुलाबी की पत्नी गुस्से में चावल की बाल्टी गुलाबी के सामने पटकती हुई बोली, "ये क्या है? इसमें इतना तेल छिपाकर क्यों रखे हैं? रसोई में जब पहले से ही इतना तेल रखा है तो अलग से चावल की बाल्टी में तेल छिपाकर रखने की क्या जरूरत थी?"
मैं और चंदर दोनों चौंक कर गुलाबी को देखने लगे। गुलाबी के चेहरे की रंग फीकी पड़ गई थी। वो कुछ बोलना चाह रहा था पर उसकी आवाज नहीं निकल रही थी। वो हड़बड़ाकर बाल्टी उठाना चाहा पर इससे पहले ही चंदर ने बाल्टी में हाथ डाल कर चेक किया तो देखा उसमें 4-5 शराब की बोतल छिपा कर रखा हुआ है।
हम दोनों गुलाबी की शातिर दिमाग को देखकर अचंभित थे। हमें तो ऐसा लग रहा था कि इसका नाम गुलाबी नहीं, शराबी होना चाहिए था। खैर, गुलाबी आगे कुछ बोलता कि इससे पहले ही हम उसकी पत्नी से बोल पड़े, "भाभी आज होली है और मेरे घर में तेल खत्म हो गया है तो क्या ये सभी तेल का बोतल हम ले जाएं?"
गुलाबी कुछ बोलता कि इससे पहले ही उसकी पत्नी बोल पड़ी, "हां, हां, ये सब तेल आप ले जाइए।"
चंदर को सारी बोतल उठाने बोलकर हम आने लगे तो गुलाबी की पत्नी बोली, "चाय तो पी लेते फिर जाते?"
मैंने कहा, "आज का दिन चाय पीने का दिन नहीं है भाभी।"
गुलाबी की पत्नी बोली, "हां, हां पता है, आज का दिन आप लोगों के लिए क्या पीने का दिन हैं? वो जो बचपन में होली पर निबंध लिखते थे कि होली के दिन कुछ आसामजिक तत्व दारू पीकर उत्पात मचाते हैं वही आसामाजिक तत्व आप लोग हैं।"
हमारे चेहरे पर हल्की हंसी फूट गई। उन्होंने आगे कहना जारी रखा कि याद रखिएगा, "मेरे पति को केवल 2 पैग ही दीजिएगा, उससे ज्यादा नहीं, कहकर वो चली गई।"
मैंने मुस्कुराते हुए गुलाबी की तरफ देखकर कहा, "जैसा आप कहें भाभी।"
गुलाबी रूआंसा होकर बोला, "भाई, मैंने तुमको बताया तो मेरी पत्नी शराब और शराबी से नफरत करती है इसलिए मैंने उससे छिपाकर रखा था। प्लीज भाई, ये सभी बोतल मुझे दे दो।"
मैंने गुलाबी के गाल पर हल्के हाथ से थप्पड़ मार कर कहा, "भाभी को बताऊं क्या कि ये तेल है या दारू?"
गुलाबी बोला, "अरे नहीं नहीं भाई, बहुत झगड़ा करेगी।"
मैंने हंसते हुए कहा, "तो फिर तुमको 2 पैग पीने की छूट मिली है तो अड्डे पर घर आकर 2 पैग पी लेना। आज मैं खुश हूं इसलिए आज की पार्टी मेरे तरफ से है।
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