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गुरुवार, 28 मार्च 2024

गर्मी

खत्म हुई मौसम की नरमी।

धीरे धीरे बढ़ रही है गर्मी।।


सूख रहे हैं ताल-तलैया और सरोवर,

सूख रही है नदी-नहर और पोखर,,

खत्म हुई हवाओं की नरमी।

धीरे धीरे बढ़ रही है गर्मी।।


सुबह-शाम को बाहर जाना,

दोपहर को तुम आराम फरमाना,,

बनाएं रखना तन-मन की नरमी।

धीरे धीरे बढ़ रही है गर्मी।।


बंद कर दो, करना धूप में शैतानी,

शुरू कर दो रखना, चिड़ियों का दाना-पानी

पेड़-पौधे लगाकर बनाना वातावरण में नरमी।

धीरे धीरे बढ़ रही है गर्मी।।


©️®️ #AVSI ✍️


सोमवार, 25 मार्च 2024

होली का प्रोग्राम


होली पर उसका क्या प्रोग्राम है ये पता करने के लिए आज सुबह मैं अपने दोस्त गुलाबी के घर गया था। मेरे साथ मेरा एक और मित्र चंदर था। गुलाबी अपने घर के आंगन में ठाठ से खटिया पर लेटा था। वहीं पास में उसकी पत्नी कुछ काम कर रही थी। गुलाबी की पत्नी काफी सीधी और भोली थी। गांव की लड़की होने के कारण उसका रहन-सहन और विचार भी गांव के पुराने जमाने की स्त्रियों जैसी ही थी। 


हमने जाते ही गुलाबी की पत्नी से कहा, "नमस्ते भाभी।"


वो हम लोगों की तरफ देख कर बोली, "अरे, अरे आइए देवर जी, बैठिए। हम जरा बनने के लिए चावल डालकर आते हैं। अधन का पानी डबक रहा है।"


मैंने कहा, "ठीक है भाभी।"


वो चली गई। 


फिर मैं गुलाबी से बात करने लगा। आज तुम सुबह से दिखे नहीं भाई, कहीं अकेले-अकेले कोई प्लान तो नहीं बना लिए हो?


हम दोनों दोस्तों को अचानक देख कर गुलाबी वैसे ही घबराया था और मेरे इस सवाल पर उसने और भी घबराहट के साथ कहा, "अरे नहीं, नहीं भाई, कहां से प्लान बनाएंगे? तुम तो जानते हो हमारे पास खाने के ही पैसे हैं और वैसे भी मेरी पत्नी शराब और शराबी से नफरत करती है। पता है, बहुत मनाने पर वो बोली, "ठीक है, आज होली है तो 2 पैग अपने दोस्तों के यहां जाकर ले लीजिएगा पर उससे ज्यादा बिलकुल नहीं।"


मेरा दोस्त चंदर पूछा, "मतलब तुम, हम लोगों के भरोसे ही बैठे हो?"


गुलाबी दांत चियारते हुए बोला, "तुम लोगों के अलावा मेरा और है ही कौन? जिसके भरोसे हम बैठें।"


चंदर फिर बोला, "फुसलाना कोई इससे सीखे।"


गुलाबी बोला, "नहीं, नहीं भाई, सच बोल रहे हैं।"


इतने में गुलाबी की पत्नी गुस्से में चावल की बाल्टी गुलाबी के सामने पटकती हुई बोली, "ये क्या है? इसमें इतना तेल छिपाकर क्यों रखे हैं? रसोई में जब पहले से ही इतना तेल रखा है तो अलग से चावल की बाल्टी में तेल छिपाकर रखने की क्या जरूरत थी?"


मैं और चंदर दोनों चौंक कर गुलाबी को देखने लगे। गुलाबी के चेहरे की रंग फीकी पड़ गई थी। वो कुछ बोलना चाह रहा था पर उसकी आवाज नहीं निकल रही थी। वो हड़बड़ाकर बाल्टी उठाना चाहा पर इससे पहले ही चंदर ने बाल्टी में हाथ डाल कर चेक किया तो देखा उसमें 4-5 शराब की बोतल छिपा कर रखा हुआ है।


हम दोनों गुलाबी की शातिर दिमाग को देखकर अचंभित थे। हमें तो ऐसा लग रहा था कि इसका नाम गुलाबी नहीं, शराबी होना चाहिए था। खैर, गुलाबी आगे कुछ बोलता कि इससे पहले ही हम उसकी पत्नी से बोल पड़े, "भाभी आज होली है और मेरे घर में तेल खत्म हो गया है तो क्या ये सभी तेल का बोतल हम ले जाएं?"


गुलाबी कुछ बोलता कि इससे पहले ही उसकी पत्नी बोल पड़ी, "हां, हां, ये सब तेल आप ले जाइए।"


चंदर को सारी बोतल उठाने बोलकर हम आने लगे तो गुलाबी की पत्नी बोली, "चाय तो पी लेते फिर जाते?"


मैंने कहा, "आज का दिन चाय पीने का दिन नहीं है भाभी।"


गुलाबी की पत्नी बोली, "हां, हां पता है, आज का दिन आप लोगों के लिए क्या पीने का दिन हैं? वो जो बचपन में होली पर निबंध लिखते थे कि होली के दिन कुछ आसामजिक तत्व दारू पीकर उत्पात मचाते हैं वही आसामाजिक तत्व आप लोग हैं।" 


हमारे चेहरे पर हल्की हंसी फूट गई। उन्होंने आगे कहना जारी रखा कि याद रखिएगा, "मेरे पति को केवल 2 पैग ही दीजिएगा, उससे ज्यादा नहीं, कहकर वो चली गई।"


मैंने मुस्कुराते हुए गुलाबी की तरफ देखकर कहा, "जैसा आप कहें भाभी।"


गुलाबी रूआंसा होकर बोला, "भाई, मैंने तुमको बताया तो मेरी पत्नी शराब और शराबी से नफरत करती है इसलिए मैंने उससे छिपाकर रखा था। प्लीज भाई, ये सभी बोतल मुझे दे दो।"


मैंने गुलाबी के गाल पर हल्के हाथ से थप्पड़ मार कर कहा, "भाभी को बताऊं क्या कि ये तेल है या दारू?"


गुलाबी बोला, "अरे नहीं नहीं भाई, बहुत झगड़ा करेगी।"


मैंने हंसते हुए कहा, "तो फिर तुमको 2 पैग पीने की छूट मिली है तो अड्डे पर घर आकर 2 पैग पी लेना। आज मैं खुश हूं इसलिए आज की पार्टी मेरे तरफ से है। 


©️®️ #AVSI ✍️


फागुन का रंग


तुमको अपने संग लिखें या फिर अपना अंग लिखें,

दो मंजूरी गर तुम प्रियतम तो तुमको फागुन का रंग लिखें।


तुमको फागुन का गीत लिखें या अपना मनमीत लिखें

या फिर तुम पर हारकर सबकुछ तुमको ही अपनी जीत लिखें

कहो अगर तुम हमको तो तुमको अपनी सारी उमंग लिखें,

दो मंजूरी गर तुम प्रियतम तो तुमको फागुन का रंग लिखें।


तुमको धूप फागुन की पाटल लिखें या सुर्ख लाल लिखें

या फिर तुमको होली में उड़ते रंग, अबीर, गुलाल लिखें

कहो अगर तुम हमको तो तुमको अपने जीने की नई ढंग लिखें,

दो मंजूरी गर तुम प्रियतम तो तुमको फागुन का रंग लिखें।।


©️®️ #AVSI✍️

होली


आज तो हम केवल रंगों की बोली बोलेंगे,

मिलकर अपने संगी-साथी संग जमके होली खेलेंगे।


रंग लगाएंगे, गुलाल उड़ाएंगे, मस्ती में डोला-डोली करेंगे,

मिलकर अपने संगी-साथी संग जमके होली खेलेंगे।


गली-मुहल्ले घूम-घूम कर, यारों संग हंसी-ठिठोली करेंगे,

मिलकर अपने संगी-साथी संग जमके होली खेलेंगे।


क्या पानी और क्या कीचड़? जो तोला-तोली करेंगे,

मिलकर अपने संगी-साथी संग जमके होली खेलेंगे।


संध्या पूर्व बड़े-बुजुर्गों के आशीष से समापन होली करेंगे,

मिलकर अपने संगी-साथी संग जमके होली खेलेंगे।।


©️®️ #AVSI ✍️

रविवार, 24 मार्च 2024

होलिका दहन


न हमने रावण का सहन किया था

न होलिका का सहन करेंगे,

आओ हम सब मिलकर

आज होलिका दहन करेंगे।


होलिका दहन हेतु जो चंदा लेने आए

उन बच्चों का उत्साह संवर्धन करेंगे,

आओ हम सब मिलकर

आज होलिका दहन करेंगे।


इन बच्चों की भीड़ में मिलकर

हम भी अपने बचपन का स्मरण करेंगे,

आओ हम सब मिलकर

आज होलिका दहन करेंगे।


ईश्वर भक्त बनकर हम भी

अधर्म का मरण करेंगे,

आओ हम सब मिलकर

आज होलिका दहन करेंगे।।


©️®️ #AVSI ✍️



शनिवार, 23 मार्च 2024

एक अनचाही चोट

बस अपनी गति से चल रही थी। बस, बस पड़ाव आने पर रुकी। कुछ महिलाएं बस में चढ़ी। सीट के लिए इधर-उधर नज़रें दौड़ाई पर कहीं सीट खाली नहीं दिखी। ऐसे में एक महिला ने अपने सामने बैठे एक युवक से कहा, "तुम खड़े हो जाओ और अपनी सीट मुझे दे दो। शायद तुम काफी समय से बैठे ही आ रहे हो?"

युवक विनम्रता से बोला, "हां, बैठे ही आ रहे हैं पर,,,।

इतने में महिला, युवक की बात काटती हुई बोली, "पर क्या? एक महिला खड़ी है और तुम एक नौजवान होकर भी सीट पर बैठे हो।"

युवक ने कुछ बोलना चाहा पर अन्य महिलाएं भी जबरदस्ती उसे सीट खाली करने को कहने लगी। सभी महिलाएं उस महिला की हां में हां मिलाकर कहने लगी, "सही तो बोली, एक महिला खड़ी है और तुम नौजवान हो कर सीट पर बैठे हो। शर्म आनी चाहिए तुमको। पता नहीं, हमारे देश के नौजवानों को क्या हो गया है, एक महिला की इज्जत तो दूर, उसे अपनी सीट तक नहीं दे सकते।"

अन्य यात्री भी इस तमाशे को शौक से देख रहे थे और युवक पर सीट खाली करने का दवाब बना रहे थे परंतु खुद कोई भी यात्री सीट खाली करने को तैयार नहीं था। जब सभी यात्री महिला की साइड लेने लगे तो अंततः मजबूर होकर उस युवक को अपनी सीट खाली करनी पड़ी। जैसे ही वो युवक उठकर थोड़ा संभलते हुए अपने सीट के नीचे से कुछ निकालने लगा तो उसे देख कर सब हैरान रह गए। सभी के चेहरे का रंग फीका पड़ गया। युवक ने सीट के नीचे से अपनी बैशाखी निकाली और उसी के सहारे सीट छोड़कर बगल में खड़ा हो गया। अब उन महिलाओं सहित अन्य यात्री भी उसे अफसोस भरी निगाह से देखने लगे। अभी जो महिला सीट खाली करने कह रही थी, अब उसने वापस उस युवक से अपने सीट पर बैठने का अनुरोध किया पर अकारण इतना सुनने के बाद कौन-सा युवक दोबारा सीट पर बैठता? बस बिना कुछ कहे न में सर हिलाते हुए उस युवक ने अपने दोनों हाथ जोड़ लिए।।


सारांश - बिना किसी की मजबूरी जाने बगैर हमें किसी की भी भावनाओं को चोट नहीं पहुंचाना चाहिए। जरूरी नहीं कि मर्द है तो उसे कोई दिक्कत नहीं होगी। मिट्टी से बने हर शरीर में कुछ-न-कुछ खामी होती है फिर चाहे वो शरीर स्त्री की हो या पुरुष का...

शुक्रवार, 22 मार्च 2024

अच्छा लगता है,,,


 

बादलों के झुरमुट से चांद का निकलना अच्छा लगता है

मुझे उसका हंसना-खेलना-चहकना अच्छा लगता है

बातों-बातों में उसकी बातों का खटकना अच्छा लगता है

मैं उसपे गुस्सा करूं और वो कुछ ना कहकर ठिठक जाए

हाय,,,

मुझे उसका ये ठिठकना अच्छा लगता है।।


यूं फिजा-सा महकना उसका अच्छा लगता है

यूं नशा-सा बहकना उसका अच्छा लगता है

यूं छुपते-छुपाते अचानक आ धमकना उसका अच्छा लगता है


मैं उसपे गुस्सा करूं और वो कुछ ना कहकर ठिठक जाए

हाय,,,

मुझे उसका ये ठिठकना अच्छा लगता है।।


दो दिलों में इश्क की आग का दहकना अच्छा लगता है

मोहब्बत में गुस्से के धागे का चटकना अच्छा लगता है

मुझसे छुपाकर मेरे लिए ही उसका सजना-संवरना अच्छा लगता है


मैं उसपे गुस्सा करूं और वो कुछ ना कहकर ठिठक जाए

हाय,,,

मुझे उसका ये ठिठकना अच्छा लगता है।।


©️®️ #AVSI ✍️


पिता

अपने खातिर नहीं कभी, जो अपनों की खातिर जीता है। वो मेरे आदर्श, वो मेरे पिता हैं।। हमने खाया पर कैसे खाया? ये जो जानता है। वो मेरे आदर्श, वो ...