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बुधवार, 13 मार्च 2024

अपना वो गांव


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां सुबह-शाम की ठंडक,

जहां पशु-पंक्षी की रौनक,

जहां फसलों का धीरे से लहलहाना,

जहां मस्तानी हवा का चुपके से छूकर गुजर जाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां कोयल की मीठी गाना,

जहां भंवरों का गुनगुनाना,

जहां आम की डाली का मंजर से लद जाना,

जहां का मौसम होता है सुहाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां ओस की बूंद से सूरज का ढंक जाना,

जहां ठंड से बदन का सिहर जाना,

जहां छोटी-छोटी बातों से रूठकर,

दुल्हन का पीहर जाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां सूरज की किरणों का काम है जगाना,

जहां उठ सुबह खेतों पर है जाना,

जहां भरी दुपहरी बैठ छांव में,

देख फसलों को मंद मंद मुस्काना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां बरसाती बादल का मंडराना,

जहां नाच मोर का खूब सुहाना,

जहां भींगे कपड़े चले खेत पर,

टूटे मेढों को भी तो है बनाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां कल कल करके नदियों का बहते जाना,

जहां का मौसम होता है सुहाना,,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।।


©️®️ #AVSI ✍️

4 टिप्‍पणियां:

Thankew 😊😊😊

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