code,pre{-webkit-user-select:text;overflow:auto; font-size:smaller;font-family:monospace;color:#333} pre{resize:auto;padding:1em!important; white-space:pre-wrap;word-wrap:break-word; border:1px solid #25b327; border-left:5px solid #25b327; font-style:italic!important}
script type='text/javascript'> if (typeof document.onselectstart != "undefined") { document.onselectstart = new Function("return false"); } else { document.onmouseup = new Function("return false"); document.onmousedown = new Function("return false"); }

गुरुवार, 14 मार्च 2024

बैलगाड़ी

ऐसा मजा न  कार से मिला

न ही दूजी गाड़ी से मिला,

जो सफर का मजा

हमें बैलगाड़ी से मिला।


राहों से गुजरते देख

लटकने की आदत ने बिगाड़ी थी,

अचानक भार पड़ने पर पीटता था

वो आदमी जिसकी गाड़ी थी।


कभी पूछने पर बैठा लेता था

वो जिसकी गाड़ी थी,

वही मेरे बचपन की सवारी

वही मालगाड़ी थी।


अपने-पराये बैठकर जाते

कभी मेला तो कभी बाड़ी थे,

चलते-चलते, चढ़ना-उतरना

इस खेल के हम खिलाड़ी थे।


सच, ऐसा मजा न कार से मिला

न ही दूजी गाड़ी से मिला,

जो सफर का मजा

हमें बैलगाड़ी से मिला।।


©️®️ #AVSI ✍️

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thankew 😊😊😊

पिता

अपने खातिर नहीं कभी, जो अपनों की खातिर जीता है। वो मेरे आदर्श, वो मेरे पिता हैं।। हमने खाया पर कैसे खाया? ये जो जानता है। वो मेरे आदर्श, वो ...