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शनिवार, 16 मार्च 2024

महाभारत

पल पल हर पल घूंट-घूंट मरती

वो नारी जो पाकी है,

एक महाभारत कल हुआ था

एक महाभारत बाकी है।


मैं ठहरी प्रेम की भूखी

इज्जत लूटना तेरी चालाकी है,

एक महाभारत कल हुआ था

एक महाभारत बाकी है।


तेरे उसूल,आचरण मेरे काम का नहीं

मेरे जीने का तरीका ही बेबाकी है,

एक महाभारत कल हुआ था

एक महाभारत बाकी है।


लूटती अस्मत, बिकते न्याय

बिके अदालत और खाकी है,

एक महाभारत कल हुआ था

एक महाभारत बाकी है।


किया प्रतीक्षा, किया विनती

अब अस्त्र उठाना ही बाकी है,

एक महाभारत कल हुआ था

एक महाभारत बाकी है।।


©️®️ #AVSI ✍️



शुक्रवार, 15 मार्च 2024

गांव


कच्ची सड़कों से गुजरो तो निहार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


सुकूं चाहिए? गांव की सड़कें एक बार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


नीम,पीपल की छांव में बैठकर सेहत सुधार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


सर्दी की धूप में लेटकर बहार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


गांव की मिट्टी लगाकर चेहरे को निखार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


पहाड़ों से गिरते झरनों की बौछार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


नए जमाने में पुराने संस्कार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


बड़े-बुजुर्गों संग बैठकर जीवन संवार लेना।

कुछ पल गांव में बैठकर गुजार लेना।।


©️®️ #AVSI ✍️


गुरुवार, 14 मार्च 2024

बैलगाड़ी

ऐसा मजा न  कार से मिला

न ही दूजी गाड़ी से मिला,

जो सफर का मजा

हमें बैलगाड़ी से मिला।


राहों से गुजरते देख

लटकने की आदत ने बिगाड़ी थी,

अचानक भार पड़ने पर पीटता था

वो आदमी जिसकी गाड़ी थी।


कभी पूछने पर बैठा लेता था

वो जिसकी गाड़ी थी,

वही मेरे बचपन की सवारी

वही मालगाड़ी थी।


अपने-पराये बैठकर जाते

कभी मेला तो कभी बाड़ी थे,

चलते-चलते, चढ़ना-उतरना

इस खेल के हम खिलाड़ी थे।


सच, ऐसा मजा न कार से मिला

न ही दूजी गाड़ी से मिला,

जो सफर का मजा

हमें बैलगाड़ी से मिला।।


©️®️ #AVSI ✍️

बुधवार, 13 मार्च 2024

अपना वो गांव


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां सुबह-शाम की ठंडक,

जहां पशु-पंक्षी की रौनक,

जहां फसलों का धीरे से लहलहाना,

जहां मस्तानी हवा का चुपके से छूकर गुजर जाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां कोयल की मीठी गाना,

जहां भंवरों का गुनगुनाना,

जहां आम की डाली का मंजर से लद जाना,

जहां का मौसम होता है सुहाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां ओस की बूंद से सूरज का ढंक जाना,

जहां ठंड से बदन का सिहर जाना,

जहां छोटी-छोटी बातों से रूठकर,

दुल्हन का पीहर जाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां सूरज की किरणों का काम है जगाना,

जहां उठ सुबह खेतों पर है जाना,

जहां भरी दुपहरी बैठ छांव में,

देख फसलों को मंद मंद मुस्काना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां बरसाती बादल का मंडराना,

जहां नाच मोर का खूब सुहाना,

जहां भींगे कपड़े चले खेत पर,

टूटे मेढों को भी तो है बनाना,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।


जहां कल कल करके नदियों का बहते जाना,

जहां का मौसम होता है सुहाना,,


बहुत याद आता है अपना वो गांव।।


©️®️ #AVSI ✍️

मंगलवार, 12 मार्च 2024

बेवफा

तुम्हें खो भी न सका, पा भी न सका।

भुलाना तो चाहा मगर भूला भी न सका।।


यादों में तेरी डूबी ये आंखें।

आंसू बहाना तो चाहा मगर बहा भी न सका।।


जाना ही था तो ले जाते सबकुछ।

मगर बेवफा अपनी यादों को ले जा भी न सका।।


बहाने तो लाखों हैं दुनियां में पर।

मजबूरियों के सिवा दूजा बहाना बना भी न सका।।


मजबूरियों ने तो रिश्ते को तोड़ा मगर।

मेरे दिल से मोहब्बत मिटा भी न सका।।


©️®️ #AVSI ✍️

बगिया


घर में छोटी बगिया लगाएं

गमलों में पौधे उगाएं

फूल-पंखुड़ी से अपने

घर का कोना कोना महकाएं


फूलों में गेंदा, गुलाब, मोगरा

बेला, जूही, हरसिंगार लगाएं

फलों में केला, अमरूद, नींबू

आम, अंगूर, अनार लगाएं


फूलों की खुशबू से महकेगा

घर-बाहर, छत और अंगना

फलों से होगी तन को मुनाफा

न खुद अपनी सेहत को ठगना


उगाकर ताजी हरी सब्जियां

खूब अपनी सेहत बनाएं

घर में छोटी बगिया लगाएं

गमलों में पौधे उगाएं।।।


©️®️ #AVSI ✍️

सोमवार, 11 मार्च 2024

अपना झारखंड


हो न जिसका खंड खंड।

ऐसा अखंड है अपना झारखंड।।


यहां की ऋतु, यहां का मौसम

यहां का झरना, नदियों का संगम

यहां का साखू, यहां का गम्हार

चट्टानों से टकराती, प्रपातों की बौछार


मस्ती में झूमें हर ऋतु,

चाहे शीत हो या बसंत,,


हो न जिसका खंड खंड।

ऐसा अखंड है अपना झारखंड।।


यहीं हुआ है सिद्धो-कान्हू, बिरसा का अवतार

यहीं रहते हैं खड़िया, संथाली, मुंडारी परिवार

अल्बर्ट एक्का, बुद्धू भगत की यादों का न होगा पतन

कैसे भूलेगा डॉ. जयपाल सिंह और धोनी को वतन


ये धरा है उन धुरंधरों का,

जिनके इरादे होते हैं बुलंद,,


हो न जिसका खंड खंड।

ऐसा अखंड है अपना झारखंड।।


यहां का सरहुल, यहां का करमा

यहां का छठ, यहां का जितिया

त्योहारों में घर देवलोक बन जाते हैं

मानो स्वयं विधाता धरती पर आते हैं


क्या बखान करें उस क्षण का?

जिस क्षण हवा त्रिरूप में चलती है मंद मंद,,


हो न जिसका खंड खंड।

ऐसा अखंड है अपना झारखंड।।


यहां है देवी-देवों का धाम 

छिन्नमस्तिका, मधुबन, वैद्यनाथ धाम

यहां है झारखंडी, दिउड़ी मंदिर

यहीं अवस्थित है बासुकीनाथ धाम


झारखंड भारत की खूबसूरती है,

और मलूटी है मंदिरों का भूखंड,,


हो न जिसका खंड खंड।

ऐसा अखंड है अपना झारखंड।।


©️®️ #AVSI ✍️



पिता

अपने खातिर नहीं कभी, जो अपनों की खातिर जीता है। वो मेरे आदर्श, वो मेरे पिता हैं।। हमने खाया पर कैसे खाया? ये जो जानता है। वो मेरे आदर्श, वो ...